Chaman - Chaman ki dilkashi gulo ki hai wo tajgi hai Chand Jin Se shabnami wo kehkashan ki Roshni. Beautiful Naat Sharif in Hindi lyrics
Chaman - Chaman ki dilkashi gulo ki hai wo tajgi hai Chand Jin Se shabnami wo kehkashan ki Roshni. Beautiful Naat Sharif in Hindi lyrics
चमन -चमन की दिलकशी गुलों की है वो ताजगी ।
है चांद जिनसे शबनमी वो कहकशा की रोशनी ।
हवाओं की वो रागिनी फजाओं की वो नगमगी ।
है कितना प्यारा नाम भी नबी -नबी- नबी नबी ।
आमद -ए बहार है वो नूर की कतार है ।
फजा भी खुश्कगवार है हवा भी मुस्कवार है ।
हवा से मैंने जब कहा ये कौन आ गया बता ।
हवा पुकारती चली नबी - नबी- नबी- नबी- नबी ।
जमीन बनी जमां बने मकीं बने मकान बने ।
चुनी बनी चुना बने वो बजहे कुन फखा बने।
कहा जो मैंने ऐ खुदा ये किसके सदके में बना ।
तो रब ने भी कहा यही नबी- नबी- नबी नबी नबी ।
वह हुस्न लाजवाब है वह इश्क बेमिसाल है
जो चर्ख का हिलाल है नबी का बिलाल है ।
बदन सुलगती रेत पर ये थरथरा उठे हजर ।
जबां पर था यही मगर नबी नबी नबी- नबी- नबी ।
चले जो कत्ल को उमर कहा किसी ने रोककर ।
कहां चले हो और किधर मिजाज क्यों है अर्श पर ।
जरा बहन की लो खबर फिदा है वो रसूल पर ।
वो कह रही है हर घरी नबी नबी नबी नबी ।
उमर चले बहन के घर ये दिल में सोच -सोच कर।
उड़ाएंगे हम उनका सर जो है नबी के दिन पर ।
सुना है जब कुरान को खुदा के उस बयान को ।
उमर ने भी कहा यही नबी नबी नबी नबी नबी ।
वो इश्क का वसूल था वो सुन्नियत का फूल था ।
वो ऐसा बावसूल था के आशिके रसूल था ।
रजा से मैंने जब कहां ये शान किसने कि अता ।
रजा ने भी कहा यही नबी नबी नबी नबी ।
चमन -चमन की दिलकशी गुलों की है वो ताजगी ।
है चांद जिनसे शबनमी वो कहकशा की रोशनी ।
चमन -चमन की दिलकशी गुलों की है वो ताजगी ।
है चांद जिनसे शबनमी वो कहकशा की रोशनी ।
हवाओं की वो रागिनी फजाओं की वो नगमगी ।
है कितना प्यारा नाम भी नबी -नबी- नबी नबी ।
आमद -ए बहार है वो नूर की कतार है ।
फजा भी खुश्कगवार है हवा भी मुस्कवार है ।
हवा से मैंने जब कहा ये कौन आ गया बता ।
हवा पुकारती चली नबी - नबी- नबी- नबी- नबी ।
जमीन बनी जमां बने मकीं बने मकान बने ।
चुनी बनी चुना बने वो बजहे कुन फखा बने।
कहा जो मैंने ऐ खुदा ये किसके सदके में बना ।
तो रब ने भी कहा यही नबी- नबी- नबी नबी नबी ।
वह हुस्न लाजवाब है वह इश्क बेमिसाल है
जो चर्ख का हिलाल है नबी का बिलाल है ।
बदन सुलगती रेत पर ये थरथरा उठे हजर ।
जबां पर था यही मगर नबी नबी नबी- नबी- नबी ।
चले जो कत्ल को उमर कहा किसी ने रोककर ।
कहां चले हो और किधर मिजाज क्यों है अर्श पर ।
जरा बहन की लो खबर फिदा है वो रसूल पर ।
वो कह रही है हर घरी नबी नबी नबी नबी ।
उमर चले बहन के घर ये दिल में सोच -सोच कर।
उड़ाएंगे हम उनका सर जो है नबी के दिन पर ।
सुना है जब कुरान को खुदा के उस बयान को ।
उमर ने भी कहा यही नबी नबी नबी नबी नबी ।
वो इश्क का वसूल था वो सुन्नियत का फूल था ।
वो ऐसा बावसूल था के आशिके रसूल था ।
रजा से मैंने जब कहां ये शान किसने कि अता ।
रजा ने भी कहा यही नबी नबी नबी नबी ।
चमन -चमन की दिलकशी गुलों की है वो ताजगी ।
है चांद जिनसे शबनमी वो कहकशा की रोशनी ।
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